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संरक्षक की कलम से....✍
यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि ग्रामीण अंचल में बालिकाओं को शिक्षित एवं संस्कारित करने के लिये डाॅ० शन्नो रानी सरस्वती कन्या महाविध्यालय का प्रारम्भ होने जा रहा है। इसके लिये प्रबन्ध कार्यकारिणी को बधाई प्रेषित करता हूँ।
मैं आशा करता हूँ कि यह महाविध्यालय महिलाओं को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी महती भूमिका निभाने के लिये तैयार करेगा। यहाँ से शिक्षा प्राप्त कर अपनी आवश्यकताओं और सामाजिक चुनौतियों से जूझते हुये महिलायें सफल और खुशहाल गृह निर्माण में अग्रसर होकर समाज एवं राष्ट्र के उत्थान में अपनी एक अमिट छाप छोड़ेंगी।
स्त्री शिक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्य की सम्पूर्ति में यह महाविध्यालय अपना विशिष्ट योगदान प्रदान करेगा।
इसी आशा के साथ............. !
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। उठो ! जागो !! लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत।
आपका
डॉ० डी० कुमार
सरस्वती-वन्दना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्राव्रता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेत्पदमासना।।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माँ पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामा जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेष्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
ABOUT COLLAGE
ग्रामीण छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर देश का जिम्मेदार नागरिक बनाने के उद्देश्य से माँ शारदा महाविद्यालय, सिंहपुर, सरैया, जिला-आजमगढ़ (उ0प्र0), की स्थापना की गयी, स्थापना प्रायः ऐसी जगहों पर की गयी है जहाँ पहले से महाविद्यालयों का अभाव है। साथ ही साथ इस क्षेत्र को सजाने संवारने एवं सामाजिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा राजनैतिक चेतना जागृत करने में यह महाविद्यालय अपना महत्वपूर्ण योगदान देना प्रारम्भ कर दिया।
आज मनुष्य अपने कर्तव्यों, मूल्यों, आदशों तथा परम्पराओं को छोड़कर आधुनिक सभ्यता के अनुसार खुद को बदलने का प्रयत्न कर रहा है, यह सही भी है क्योंकि विकास तभी होगा जब बदलाव होगा किन्तु यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि अपनी परंपराओं में बदलाव तो सही है लेकिन उन्हें छोड़ना गलत है। आज समाज को एक ऐसी शिक्षा पद्धति की जरूरत है जो समाज को विकास के सर्वोच्च स्तर पर उसकी परंपरा और संस्कृति के साथ लेकर जाय, उसे भुलाकर नहीं।
इसी उद्देश्य को नींव बनाकर जनपद-आजमगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र ग्राम सिंहपुर, सरैया, जिला-आजमगढ़ में महाविद्यालय की स्थापना हुई और आज महाविद्यालय उसी उद्देश्य को पूरा करता हुआ विकास के शिखर पर पहुंचते हुए लगभग विश्वविद्यालय का स्वरूप हांसिल कर चुका है।
उद्देश्य
महाविद्यालय आज के आधुनिक युग में भी भारतीय संस्कृति के आधार पर एक ऐसी शिक्षा पद्धति का संचालन विगत कई सत्रों से कर रहा है जिससे छात्र/छात्राओं को विज्ञान की शोध के साथ प्राचीन ग्रन्थों की जानकारी भी मिलती रहती है। महाविद्यालय छात्र / छात्राओं के सम्पूर्ण विकास को ध्यान में रखकर अनेक सांस्कृतिक, बौद्धिक तथा रचनात्मक कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित कर प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास करता है।छात्र/छात्राओं का सम्यक् विकास, उनके अन्दर देशभक्ति के संस्कार, उत्तम चरित्र निर्माण ही महाविद्यालय का उद्देश्य रहा है, जिसे महाविद्यालय प्रशासन आज भी बिना थके, बिना रूके पूरा कर रहा है और आगे भी करता रहेगा।
मिशन
इस कॉलेज का मिशन छात्रों को विविध संस्कृतियों वाले देश में ज्ञानवान, योगदान देने वाले नागरिक बनने के लिए तैयार करना है। इस शैक्षिक समूह के मिशन के लिए महत्वपूर्ण है शिक्षण और सीखने, शोध और रचनात्मक गतिविधि के माध्यम से नए ज्ञान की खोज करना। इस समूह की भूमिका प्राप्त सीखने और समझ को पोषित करना और बनाए रखना है।
Immediate Goals
Designing of curriculum for UG Courses. As per University norms
Publication of calendar of events and conduct of classes, examinations and all other activities strictly as per the calendar.
Review of academic programmes from time to time.
Starting and conducting new academic programmes in thrust areas.